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बीएचयू में इतिहास सिलेबस पर उठा विवाद: राणा प्रताप-शिवाजी बाहर, सल्तनत शासकों को मिल रही तरजीह

नई शिक्षा नीति (एनईपी) लागू होने के बावजूद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के बीए इतिहास के दूसरे सेमेस्टर के सिलेबस को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। छात्रों और शिक्षकों का आरोप है कि "मध्यकालीन भारत" के नाम पर केवल तुर्क, खिलजी, तुगलक, तैमूर, बाबर और औरंगजेब जैसे शासकों पर ही फोकस किया गया है, जबकि राणा सांगा, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, सिख, जाट, मराठा और दक्षिण भारत के शासकों को या तो पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया है या केवल नाममात्र की उपस्थिति दी गई है।

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इतिहास विभाग के ही एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने इस पाठ्यक्रम को लेकर नाराजगी जताई है और कहा है कि मध्यकालीन भारत के अध्ययन में भारतीय शौर्य, स्वराज्य और संघर्ष के प्रतीकों को उचित स्थान नहीं मिला। उन्होंने कहा कि जब नई शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान प्रणाली को केंद्र में लाने की बात करती है, तो फिर पाठ्यक्रम में विदेशी आक्रमणकारियों और सल्तनत शासकों को ही केंद्र में क्यों रखा गया है?

सिर्फ 'राजपूत' शब्द, न राणा सांगा न हल्दीघाटी

सिलेबस की समीक्षा करने पर स्पष्ट होता है कि राणा सांगा का खानवा युद्ध, महाराणा प्रताप का हल्दीघाटी युद्ध, छत्रपति शिवाजी का स्वराज्य आंदोलन या दक्षिण भारत के चालुक्य, चोल, विजयनगर जैसे महान साम्राज्यों की कहीं चर्चा नहीं है। 

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पूरे पाठ्यक्रम में 'राजपूत' शब्द तो लिखा है, लेकिन न उनके योगदान की चर्चा है, न ही संघर्षों की। जबकि दिल्ली सल्तनत और मुगल शासन के प्रत्येक शासक को अलग-अलग यूनिट में विस्तार से पढ़ाया गया है।

सिलेबस में क्या है शामिल?

चार वर्षीय बीए इतिहास के दूसरे सेमेस्टर के सिलेबस में निम्नलिखित यूनिट शामिल हैं:

  • यूनिट 1: मध्य भारत का स्रोत, तुर्कों के आगमन से पहले भारत का सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य, सामंतवाद, तराइन युद्ध, दिल्ली सल्तनत की स्थापना।

  • यूनिट 2: खिलजी क्रांति, अलाउद्दीन खिलजी, तुगलक वंश के शासक, सैय्यद और लोदी वंश।

  • यूनिट 3: पानीपत युद्ध, बाबर, हुमायूं, शेरशाह, अकबर की नीतियां, राजपूत का उल्लेख, जहांगीर और नूरजहां।

  • यूनिट 4: शाहजहां, औरंगजेब, मनसबदारी प्रणाली, मुगल स्थापत्य और कला, मुगल साम्राज्य का पतन।

क्या कहते हैं अधिकारी?

इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. घनश्याम का कहना है कि अभी तक केवल दो सेमेस्टर का सिलेबस तय किया गया है, बाकी सालों के लिए टेंटेटिव सिलेबस तैयार हो चुका है और जुलाई में "बोर्ड ऑफ स्टडीज" की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एनईपी के तहत चौथा सत्र शुरू होने जा रहा है, और वहां भी इसी प्रक्रिया से सिलेबस तय हुआ है।

वहीं, प्रो. राजीव श्रीवास्तव ने कहा, "राजपूत, सिख, जाट, मराठा और सतनामी आदि को मध्यकालीन इतिहास से जोड़ने की प्रक्रिया जारी है। जल्द ही इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा।"