Breaking Kashi

6/recent/ticker-posts

बाबा विश्वनाथ के दरबार में बेड़ियों में बंधे हैं “ संकटमोचन हनुमान ” बजरंगबली की ऐसी दुर्लभ प्रतिमा, पूरे देश में केवल 11

श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर में संकट मोचन 'बेड़ियों' में जकड़े हैं। कॉरिडोर के गलियारे में हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा पुतलीबाई मंदिर के खंभे से बंधी है। सिर से लेकर पांव तक जकड़ी बजरंग बली की भव्य प्रतिमा बाबा विश्वनाथ से रिहाई मांग रही है। काशी पुराधिपति के दरबार में उस क्षेत्र के सिद्धमंदिर की प्रतिमा बंधन-मुक्त और प्रतिष्ठापित होने के इंतजार में है।

हनुमान जी की प्रतिमा को रस्सी से बांधने के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास पर फिर सवाल उठने लगे हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर में मंदिर और प्रतिमाओं की व्यवस्थाओं को संचालित करने वाले न्यास से काशीवासी खफा हैं। 

प्राचीन मूर्तियों की अनदेखी और अधिकारियों की मनमानी का आरोप लगाया है। तस्वीरें सामने आने के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विश्व भूषण मिश्र ने शनिवार की शाम को मंदिर पहुंचे। उन्होंने नुमान जी की प्रतिमा का पुन: प्राण प्रतिष्ठा कराकर स्थापित कराने का आदेश दिया है।

वाराणसी में काशी विश्वनाथ से लेकर सारनाथ तक, संकट मोचन से लेकर पिशाच मोचन तक, गंगाघाटों से लेकर के राजघाट तक हनुमान जी के ऐतिहासिक मंदिर और प्रतिमाएं हैं। इन प्राचीन प्रतिमाओं में मूंगा वाले हनुमान जी की प्रतिमा भी है, जो लगभग 350 साल पुरानी है। 

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के दौरान दीवार में स्थापित प्रतिमा को हटाकर खंभे के सहारे रस्सियों से बांध दिया गया। प्रतिमा को सिर से लेकर पांव तक 'बेड़ियों' में जकड़ा गया है। हर दिन हजारों श्रद्धालु इसे देखते हैं और बाबा विश्वनाथ से संकटमोचन की रिहाई की गुहार लगाते हैं।

संकटमोचन समेत कई विग्रह 'बंधनमुक्त' होने की आस 

श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के बाद कई विग्रह अभी मंदिर में प्रतिष्ठित होने की आस में हैं। देश की अद्वितीय प्रतिमाओं में शुमार बजरंगबली का विग्रह भी स्थापना की बाट जोह रहा है। प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा तो दूर की बात मंदिर न्यास ने उन्हें रस्सियों से बांध रखा है। हनुमानजी की प्राचीन और सिद्ध प्रतिमा पुतलीबाई मंदिर के खंभे से बंधी केवल यही हनुमान प्रतिमा नहीं न्यास ने कई प्रतिमाओं को स्थायी होने का इंतजार है।

कचहरी से जुड़े कई विग्रह भी परिसर में स्थापना के बिना उपेक्षा की शिकार है। अब मूंगा विग्रह की विधिवत स्थापना नहीं होने से काशीवासियों में आक्रोश है, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास से अविलंब स्थापित कराए जाने की मांग की है।

काशी और बेतियां में मूंगे की हनुमान प्रतिमा

ढूंढीराज गणेश द्वार से श्रृंगार गौरी के मार्ग में स्थित पुतलीबाई मंदिर के पास मूंगे वाली हनुमान जी की प्रतिमा ऐतिहासिक भी है। देश में महज दो हनुमान प्रतिमाएं मूंगे से निर्मित हैं और एक ही प्रकृति से बनी हैं। 

पहली प्रतिमा काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर में पुतलीबाई मंदिर के बरामदे में बंधी है, तो दूसरी मूंगे की प्रतिमा लाला बाजार हनुमान मंदिर बेतिया पश्चिम चंपारण मुजफ्फरपुर बिहार में है। दोनों एक-दूसरे की हूबहू कॉपी हैं।

पुतलीबाई मंदिर में एलिवेशन देकर होगी स्थापना 

श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर में संकट मोचन 'बेड़ियों' में जकड़े होने का मामला तूल पकड़ने के बाद मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने संज्ञान लिया। ढूंढीराज गणेश द्वार से श्रृंगार गौरी के मार्ग में स्थित पुतलीबाई मंदिर के पास मूंगे वाली हनुमान जी की प्रतिमा को देखा।

काशी विश्वनाथ न्यास मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने कहा कि मंदिर के सेवायत से वार्ता करके बेहतर इंतजाम को लेकर सहयोगियों के साथ मंथन किया गया है। निर्णय लिया गया कि मूंगे वाले हनुमान जी की प्रतिमा को पुतलीबाई मंदिर पर ही एलिवेशन देकर विधिपूर्वक सुव्यवस्थित तरीके से स्थापित की जाएगी। पुतलीबाई मंदिर में मूंगे वाले हनुमान जी की प्रतिमा को देखा गया। उन विग्रह को मंदिर पर ही एलिवेशन देकर स्थापित किया जाएगा।

चार साल पहले तक होता था सुंदरकांड

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में मूंगे वाले श्री हनुमान महाराज का अलग स्थल था। इस मंदिर में वर्ष भर भव्य आयोजन होते थे। भव्य राम दरबार सजता था, तो हनुमान जी की विशेष पूजा होती थी। इस परिसर में ही कलयुग के प्रत्यक्ष देवता के अनुष्ठान में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते थे। कॉरिडोर निर्माण के समय तत्कालीन अधिकारियों ने मूंगे वाले हनुमान जी की मंदिर में स्थापना की बात कही थी। लेकिन मूर्ति खंभे के सहारे रस्सियों से बंधी है।

350 साल पुरानी संपूर्ण हनुमान प्रतिमा 

धार्मिक विद्वानों की माने तो प्रतिमा मूंगे से निर्मित है। इसमें बजरंगबली के महाबली होने को दर्शाया गया है। जिसमें उनके कंधों पर राम-लक्ष्मण विराजमान हैं। वहीं पैरों में पाताल भैरवी हैं। मूर्ति में कमर से लेकर पांव तक मनुष्यों की तरह नसें दिखती हैं। बता दें कि यह प्रतिमा अभी ढूंढीराज गणेश द्वार से श्रृंगार गौरी के मार्ग में स्थित पुतलीबाई मंदिर के पास स्थापना के इंतजार में हैं।

काशी के मंदिरों में दर्शन और प्राचीनता देखने आने वाले श्रद्धालुओं को प्रतिमाओं की बेकदरी भी देखने को मिल रही है। पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा को काशी विश्वनाथ न्यास पलीता लगा रहा है। हनुमान प्रतिमा की उपेक्षा के बाद न्यास की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं।