मोरारी बापू ने मंच से मांगी माफी: बोले– "कथा करता रहूंगा", सूतक में किए थे बाबा विश्वनाथ के दर्शन
वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित मानस सिंदूर रामकथा के दूसरे दिन कथा समाप्त होने के बाद मोरारी बापू ने काशी के विद्वानों और संत समुदाय से सार्वजनिक क्षमा मांगी। हालांकि उन्होंने साफ किया कि वह कथा कहना नहीं छोड़ेंगे। बापू ने कहा, “मैं क्षमा मांगता हूं, लेकिन कथा तो कहेंगे वही करने आये है। मंच से उन्होंने यह भी कहा कि खुलासा हम भी कर सकते हैं मेरे पास भी शास्त्र है।
कथा से पहले पत्नी का निधन, दर्शन के बाद विवाद
मोरारी बापू की धर्मपत्नी नर्मदाबा का निधन 11 जून को हुआ था। इसके तीन दिन बाद ही यानी 14 जून से बापू ने काशी में मानस सिंदूर कथा आरंभ कर दी।
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इसके पूर्व उन्होंने बाबा विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन भी किए, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ ।
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बापू के इस आचरण पर काशी के कई विद्वानों, शास्त्रियों और आम जनमानस ने नाराज़गी जताई है। धार्मिक परंपरा के अनुसार, गृहस्थ संन्यासियों के लिए सूतक और क्रिया-कर्म का पालन आवश्यक माना गया है। ऐसे में बापू का कथा करना और दर्शन करना – दोनों को लेकर धर्मशास्त्रीय सवाल खड़े हो गए हैं।
2021 में सूतक में अर्चक ने कराई थी मंदिर में पूजा
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सूतक में पूजन कराने का मामला 2021 में भी हो चुका है।
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मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्र ने विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में 13 दिसंबर 2021 को पूजन करा दिया था। उनको एक साल के लिए चंदौली भेज दिया गया था।
मोरारी बापू की प्रतिक्रिया – "हम वैष्णव साधु हैं"
विवादों के बीच मोरारी बापू ने दी वाराणसी न्यूज़ से बात करते हुए कहा –
"हम वैष्णव परंपरा के साधु हैं। हम पर सूतक या क्रिया-कर्म का नियम लागू नहीं होता। हम न क्रिया करते हैं, न उत्तर क्रिया। हमारे लिए प्रभु का भजन और कथा ही धर्म है। यही हमारे जीवन का मार्ग है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन हमने श्रद्धा से किए हैं और कथा भी उसी भाव से कर रहे हैं।"