वाराणसी में अंतिम विदाई पर वसूली का साया: पांच हजार न मिलने पर एक घंटे तक चिता पर रखा रहा शव
अंतिम विदाई के समय गरीबों के साथ अमानवीयता की हदें पार कर दी जा रही हैं। रामनगर के एकमात्र श्मशान घाट पर सोमवार को ऐसा ही दृश्य देखने को मिला, जहां एक गरीब परिवार से शव को अग्नि देने के एवज में पांच हजार रुपये मांगे गए। जब परिजनों ने अपनी आर्थिक असमर्थता जताते हुए मात्र एक हजार रुपये देने की बात कही, तो घाट पर मौजूद लोगों ने चिता को अग्नि देने से मना कर दिया।
परिजन कटरिया क्षेत्र से मृतक का शव लेकर आए थे। चिता सज गई, शव भी रख दिया गया, लेकिन रुपये कम होने के कारण करीब एक घंटे तक अंतिम संस्कार रोक दिया गया।
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अंत में परिजनों को दो हजार रुपये देने के बाद ही शव को अग्नि दी गई।
रामनगर घाट पर हर दिन औसतन छह से दस शवों का दाह संस्कार होता है, लेकिन व्यवस्था पूरी तरह से लचर है। यहां अग्नि देने के नाम पर अमीर-गरीब का भेद किए बिना मनमाने तरीके से तीन से पांच हजार रुपये तक की वसूली की जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गंगा पार रामनगर में यही एकमात्र श्मशान घाट है, जहां दो दर्जन से अधिक गांवों के लोग शवों का अंतिम संस्कार करने आते हैं, लेकिन यहां न तो कोई निर्धारित शुल्क है और न ही कोई जवाबदेह व्यवस्था।
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लोगों ने आरोप लगाया कि नगर निगम का रामनगर जोनल कार्यालय पूरी तरह से उदासीन है। न तो कोई निगरानी है और न ही काशी के अन्य घाटों की तरह शुल्क निर्धारण किया गया है। इससे नगर क्षेत्र समेत ग्रामीण इलाकों में आक्रोश फैल रहा है।
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जब इस बारे में नगर निगम के जोनल अधिकारी इंद्र विजय सिंह से बात की गई तो उन्होंने जिम्मेदारी टालते हुए कहा कि “श्मशान घाट पर अग्नि देने का विषय नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। इसका निर्धारण घाट की समितियों और जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है।”