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वाराणसी में कोडीन युक्त कफ सिरप तस्करी का बड़ा खुलासा, 5 गिरफ्तार; 23 करोड़ के फर्जी लेन-देन का पर्दाफाश

उत्तर प्रदेश में चर्चित कोडीन युक्त प्रतिबंधित कफ सिरप तस्करी मामले में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने रविवार को बड़ा खुलासा किया है। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त नीतू कात्यायन ने प्रेस वार्ता में बताया कि अवैध कफ सिरप तस्करी से जुड़े दो अलग-अलग मुकदमे रोहनिया और सारनाथ थाने में दर्ज किए गए थे, जिनमें अपराध की प्रकृति और तरीका एक जैसा पाया गया।

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पुलिस जांच में सामने आया कि इन मामलों में कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। रोहनिया थाना क्षेत्र से स्वप्निल केसरी, दिनेश यादव और आशीष यादव को गिरफ्तार किया गया है, जबकि सारनाथ थाना क्षेत्र से विष्णु पांडेय और लोकेश अग्रवाल को पुलिस ने हिरासत में लिया है।


शेल कंपनियों के जरिए रचा गया तस्करी का नेटवर्क

एडीसीपी नीतू कात्यायन के अनुसार, सभी आरोपी अवैध शेल कंपनियां खोलने का काम करते थे। इन कंपनियों के नाम पर जीएसटी नंबर लिए जाते थे और ड्रग एजेंसी से लाइसेंस भी बनवाए जाते थे, लेकिन वास्तविक रूप से किसी प्रकार की खरीद-बिक्री नहीं की जाती थी। ये कंपनियां केवल कागजों पर संचालित की जा रही थीं। फर्जी जीएसटी बिल और इनवॉइस के जरिए बड़े पैमाने पर वित्तीय लेन-देन दिखाया जाता था।

23 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी उजागर

जांच में रोहनिया मामले में तीन फर्जी कंपनियां—अल ऊकबा, एसबी फार्मा और सिंह मेडिकोज—पाई गईं, जिनके माध्यम से करीब 13 करोड़ रुपये का फर्जी लेन-देन किया गया। वहीं सारनाथ से जुड़ी दो कंपनियों के जरिए लगभग 10 करोड़ रुपये की हेराफेरी सामने आई है। ये सभी कंपनियां भौतिक रूप से अस्तित्वहीन पाई गईं।


अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय तस्करी के संकेत

पुलिस के मुताबिक, कोडीन युक्त कफ सिरप को बिहार, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तक भेजा जाता था, जहां इसे कई गुना दामों पर बेचा जाता था। वहां से मिलने वाली रकम हवाला के जरिए वाराणसी तक पहुंचाई जाती थी।

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फिलहाल पुलिस पूरे नेटवर्क की गहन जांच कर रही है और इस तस्करी रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की पहचान व गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।