BHU के रिटायर्ड प्रोफेसर को ठगों ने किया था डिजिटल अरेस्ट, FD तुड़वाने पहुंचे तो खुला राज, बाल-बाल बचे
लंका थाना क्षेत्र की रश्मि नगर कॉलोनी में रहने वाले बीएचयू के रिटायर्ड प्रोफेसर और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पी.आर. गुप्ता को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट में लेने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी करने की कोशिश की। लेकिन बैंक मैनेजर की सतर्कता और पुलिस की सूझबूझ से वे ठगी का शिकार होने से बच गए।
जानकारी के अनुसार, डॉ. गुप्ता बुधवार की सुबह जब HDFC बैंक पहुंचे और एफडी तुड़वाने की बात करने लगे, तो बैंक मैनेजर को उनके व्यवहार में घबराहट और डर नजर आया। शक होने पर मैनेजर ने तुरंत थाना प्रभारी शिवकांत मिश्र को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और डॉ. गुप्ता को थाने ले जाकर उनसे पूरी जानकारी ली।
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डॉ. गुप्ता ने पुलिस को बताया कि मंगलवार सुबह उन्हें एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने दावा किया कि देश में कुछ बच्चों को गिरफ्तार किया गया है और उनसे पैसे की मांग की जा रही है। इसके बाद कॉलर ने उनके बेटे के बारे में जानकारी दी। जब डॉ. गुप्ता ने बताया कि उनका बेटा अमेरिका में डॉक्टर है, तो ठगों ने उन्हें डराना शुरू कर दिया और कहा कि इस मामले को किसी से साझा न करें। उन्होंने यह भी कहा कि अपने चेंबर को चारों तरफ से लॉक कर लें।
इसके बाद ठगों ने एक फर्जी अधिकारी से वीडियो कॉल करवाई, जिसमें उसका चेहरा छिपा हुआ था। फोन पर धमकी दी गई कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें अरेस्ट किया जाएगा। साथ ही उनसे उनके बैंक खातों की जानकारी भी ली गई और कहा गया कि हर रात सोने से पहले कॉल करके कहना होगा - "मैं लंका से बोल रहा हूं और मैं सेफ हूं।"
डॉ. गुप्ता ने बताया कि लगातार मानसिक दबाव और डर की स्थिति में वे एफडी तुड़वाने बैंक पहुंचे, ताकि ठगों को पैसे दे सकें। लेकिन बैंक मैनेजर ने समय रहते इस गंभीर स्थिति को भांप लिया और पुलिस को सूचना दे दी। थाना प्रभारी शिवकांत मिश्र ने न सिर्फ ठगों को फोन पर फटकार लगाई, बल्कि साइबर क्राइम थाने को भी मामले की जानकारी दी।
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फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह डिजिटल अरेस्ट का क्लासिक मामला है, जहां ठग खुद को जांच एजेंसी और सुप्रीम कोर्ट का अधिकारी बताकर लोगों को डरा-धमका कर ठगी का शिकार बनाते हैं।
पुलिस की अपील
पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि यदि किसी भी अनजान नंबर से इस तरह की धमकी या दबाव वाला कॉल आए, तो घबराएं नहीं। नजदीकी पुलिस थाने या साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर तुरंत सूचना दें। बिना किसी आधिकारिक पुष्टि के कोई भी वित्तीय निर्णय न लें।