काशी में सजी 500 साल पुरानी परंपरा — तुलसीघाट पर नाग नथैया लीला, जय कन्हैया लाल की के जयघोष से गूंजी शिव की नगरी
काशी की गंगा तुलसीघाट पर शनिवार को गोकुल की यमुना बनने को आतुर दिखी। गोस्वामी तुलसीदास की कार्यस्थली तुलसीघाट पर लक्खा मेले में शुमार प्रसिद्ध नाग नथैया लीला का भव्य आयोजन शनिवार को संपन्न हुआ। परंपराओं से ओतप्रोत इस धार्मिक आयोजन के दौरान श्रद्धालु भावविभोर होकर उस अद्भुत क्षण को अपलक निहारते रहे जब भगवान श्रीकृष्ण ने कालिय नाग का दमन किया।
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आयोजन की शुरुआत में काशीराज परिवार के अनंत नारायण सिंह अपने बजड़े पर तुलसीघाट पहुंचे, जहां उन्हें माल्यार्पण किया गया।
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— The Varanasi News (@thevaranasinews) October 25, 2025
परंपरा के तहत उन्होंने महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र को सोने की गिन्नी भेंट की। दोपहर बाद से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ तुलसीघाट की ओर उमड़ पड़ी। जैसे ही “जय कन्हैया लाल की” के जयघोष गूंजे, पूरा घाट भक्तिभाव से सरोबार हो उठा।
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इस वर्ष बाढ़ के कारण लीला स्थल को घाट से करीब 300 मीटर पीछे बनाया गया। वहां कदंब का पेड़ गाड़ा गया, जिससे यमुना में गिरी गेंद को निकालने के लिए भगवान श्रीकृष्ण कूदे। ठीक तीन बजे जैसे ही कंदुक क्रीड़ा के लिए भगवान श्रीकृष्ण का आगमन हुआ, पूरा वातावरण “जय कन्हैया लाल की” के उद्घोष से गूंज उठा।
25 फुट लंबी कालिय नाग की पूंछ
कालिय नाग का निर्माण करने वाले जयप्रकाश गोंड ने बताया कि पिछले 15 वर्षों से वह इस नाग को तैयार करते आ रहे हैं। इसकी पूंछ करीब 25 फुट लंबी होती है, जबकि नौ फनों वाले नाग के प्रत्येक फन की ऊंचाई और चौड़ाई साढ़े तीन फुट होती है। ज्ञानू और उनकी टीम के 12 सदस्य तीन दिनों तक लगातार मेहनत कर इस कालिय नाग को अंतिम रूप देते हैं, जिसे लीला वाले दिन बांस के सहारे गंगा में गाड़ा जाता है।
श्रीकृष्ण के पात्र का चयन
हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने वाले बालक का चयन लीला के दिन ही हुआ। गंगा रूपी यमुना में कूदने से पहले कई बालकों की हिम्मत को परखा गया। बताया जाता है कि पहले महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र अपने बचपन में और अब उनके सुपुत्र पुष्करनाथ मिश्र श्रीकृष्ण की भूमिका निभाते आए हैं।
कदंब के वृक्ष की परंपरा
भगवान श्रीकृष्ण की कालिय दमन लीला के दौरान प्रतिवर्ष एक कदंब का पेड़ काटा जाता है। लेकिन पर्यावरण के प्रति जागरूकता दिखाते हुए महंत परिवार हर वर्ष अनेक कदंब के पौधे रोपित करता है। संकट मोचन मंदिर परिसर और नगवां स्थित तुलसी विद्या निकेतन में ऐसे कई कदंब के वृक्ष देखे जा सकते हैं।
सुरक्षा व्यवस्था रही सख्त
आयोजन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। एसीपी भेलूपुर गौरव कुमार और थाना प्रभारी सुधीर त्रिपाठी के अनुसार, पुलिस आयुक्त के निर्देश पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी गई थी। घाट पर एनडीआरएफ और जल पुलिस के जवानों को तैनात किया गया ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
 
