वाराणसी में आम के पेड़ के नीचे मिला बुज़ुर्ग का शव, परिजनों ने जताई हत्या की आशंका
चोलापुर थाना क्षेत्र के आयर गांव में बुधवार की सुबह उस समय सनसनी फैल गई जब गांव के ही 70 वर्षीय रामजी प्रसाद वर्मा का शव गांव से कुछ दूरी पर आम के पेड़ के नीचे मिला। रामजी प्रसाद अमर शहीद इंटर कॉलेज, आयर में चपरासी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनका शव सड़क किनारे स्थित आम के पेड़ के नीचे संदिग्ध परिस्थितियों में मिला, जिससे पूरे गांव में शोक और आक्रोश की लहर दौड़ गई है।
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परिजनों का आरोप है कि यह महज कोई सामान्य मौत नहीं, बल्कि एक साजिशन हत्या है, जो वर्षों पुराने जमीन विवाद का परिणाम है। मृतक की बेटी वंदना वर्मा ने आरोप लगाया है कि उनके पिता की पीठ पर गंभीर चोट के निशान थे, जो काले पड़ चुके थे। इसके अलावा मौके पर शव के पास उनके घसीटे जाने के भी निशान मिले हैं। उन्होंने स्थानीय पुलिस पर मामले की लीपापोती करने का भी आरोप लगाया है।
दवा लेने गए थे, अगली सुबह मिला शव
मिली जानकारी के अनुसार, रामजी प्रसाद वर्मा मंगलवार की शाम अपने घर से आयर बाजार में दवा लेने के लिए निकले थे। जब देर रात तक वे वापस नहीं लौटे तो परिवार वालों को चिंता हुई। बुधवार सुबह ग्रामीणों ने गांव से करीब 400 मीटर दूर सड़क किनारे उनका शव आम के पेड़ के नीचे पड़ा देखा। शव के पास उनकी चश्मा, दवाइयां और सब्जियां पड़ी थीं, जिससे साफ है कि वे बाजार से लौट रहे थे।
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सूचना पर चोलापुर पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और घटनास्थल की गहन जांच की। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हालांकि पुलिस का प्रारंभिक कहना है कि रामजी प्रसाद की मौत हार्ट अटैक से हुई हो सकती है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही वास्तविक कारण स्पष्ट हो सकेगा।
पुराने जमीन विवाद से जुड़ा मामला, बेटी ने बताया दर्द
मृतक की छह बेटियां हैं और कोई बेटा नहीं है। बेटियों ने ही वर्षों से पिता की देखभाल की है। वंदना वर्मा, जो धरसौना भवानीपुर की रहने वाली हैं, ने बताया कि उनके पिता आयर गांव में आबादी की जमीन पर बने कच्चे मकान को पक्का बनवाना चाहते थे, लेकिन पड़ोस के एक परिवार द्वारा जमीन पर कब्जे का प्रयास और दबाव बनाया जा रहा था। पड़ोसी परिवार उन्हें मकान बनाने से रोक रहा था और आधी जमीन छोड़ने का दबाव बना रहा था। इसको लेकर कई बार विवाद भी हुआ।
वंदना ने आरोप लगाया कि उसने वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय, कचहरी और स्थानीय पुलिस चौकी में कई बार प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा पुलिस उन्हें ही समझाने लगी कि जमीन का कुछ हिस्सा छोड़ दें। इससे हताश होकर उन्होंने शिकायतें करना बंद कर दिया।
"हार्ट के मरीज थे, समय से दवा लेते थे"
वंदना ने बताया कि उनके पिता हार्ट के मरीज थे लेकिन वे नियमित दवा लेते थे और घटना के दिन भी पूरी तरह स्वस्थ थे। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि हार्ट अटैक से मौत हुई है, तो फिर शरीर पर चोट के निशान क्यों हैं और शव के पास घसीटने के चिन्ह कैसे हैं?
रामजी प्रसाद वर्मा गांव में एक सम्मानित और शांत स्वभाव के व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे। उनकी मौत ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया है। ग्रामीणों और परिजनों ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को सजा मिले।
इस पूरे मामले में चोलापुर पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के वास्तविक कारण का पता चल सकेगा। फिलहाल परिजनों की ओर से दी गई तहरीर और आरोपों की जांच की जा रही है।