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छह साल पुराने नितेश सिंह बबलू हत्याकांड में नया मोड़: CBCID करेगी जांच, पूर्व सांसद और विधायक की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

छह साल पुराने बहुचर्चित नितेश सिंह बबलू हत्याकांड की जांच अब CBCID को सौंप दी गई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की अदालत ने स्पष्ट आदेश देते हुए कहा कि यह विवेचना इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में की जा रही है और CBCID के एएसपी स्तर के अधिकारी को दो माह के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपनी होगी।

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इस हत्याकांड की जांच लंबे समय से राजनीतिक दबाव में उलझी रही। पीड़ित परिवार की ओर से वकील अजय सिंह ने अदालत में पैरवी करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की थी, जिस पर सीजेएम कोर्ट ने आदेश दिया। मृतक के भाई अकलेश कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद यह कार्रवाई संभव हो सकी।

सारनाथ क्षेत्र के मवइयां निवासी नितेश सिंह बबलू पेशे से ठेकेदार था और उसका नाम सारनाथ थाने के हिस्ट्रीशीटरों में दर्ज था। पूर्वांचल की राजनीति और अपराध के गठजोड़ में उसकी हत्या को एक अहम कड़ी माना गया।

दिनदहाड़े सदर तहसील में मारी गई थी गोली

30 सितंबर 2019 को दोपहर के वक्त नितेश सिंह सदर तहसील परिसर में अपनी बुलेटप्रूफ गाड़ी में बैठने जा रहा था, तभी उस पर शूटरों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। हमले में नितेश की मौके पर ही मौत हो गई।

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प्रारंभिक जांच में पुलिस ने गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर और उसके साथियों की भूमिका बताई, लेकिन लंबे समय तक राजनीतिक संरक्षण के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी। करीब छह माह बाद गिरधारी का नाम सामने आया और 11 जनवरी 2021 को वह दिल्ली से गिरफ्तार हुआ। इसके बाद 14 फरवरी 2021 को लखनऊ में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया।

मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद बढ़ा विवाद

2018 में बागपत जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद पूर्वांचल के दो प्रभावशाली नेताओं के बीच तनाव पैदा हुआ। नितेश सिंह ने इनमें से एक, लखनऊ में रहने वाले रसूखदार से नजदीकियां बढ़ा ली थीं। बताया जाता है कि यही बात जौनपुर के पूर्व सांसद को नागवार गुज़री और उन्होंने चंदौली के एक विधायक से मिलकर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त किया। इसी वर्चस्व की लड़ाई में नितेश की हत्या की गई।

पूर्व सांसद और विधायक की भूमिका की जांच संभव

मामले में शामिल रहे पुलिसकर्मियों के अनुसार, हत्या के पहले शूटरों ने एक सप्ताह तक नितेश की रेकी की थी। शिवपुर क्षेत्र में एक रसूखदार के फ्लैट में गिरधारी समेत शूटरों को ठहराया गया था, जिसकी पहुंच लखनऊ से लेकर पूर्वांचल तक बताई जाती है।

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अब जब सीबीसीआईडी जांच का जिम्मा संभालेगी, तो वादी पक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर जौनपुर के पूर्व सांसद और चंदौली के विधायक की भूमिका की गहराई से जांच की जाएगी। पूछताछ के दायरे में ये दोनों नेता आएंगे और अगर साक्ष्य मिले, तो कानूनी कार्रवाई भी संभव है।