वाराणसी में तेल डालकर जलाई गई बहू, शव छोड़कर भागे थे ससुरालीजन; 4 साल बाद पति-सास को उम्रकैद
वाराणसी की विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) रविंद्र कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने दहेज हत्या के एक जघन्य मामले में बड़ा और सख्त फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दोषी पति जितेंद्र कुमार और उसकी मां फूलमती को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों पर चार-चार हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में दोषियों को अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
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अभियोजन पक्ष के अनुसार, कोपागंज (मऊ) निवासी वादी रमेश भारतीय ने वाराणसी के कैंट थाने में इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बड़ी बहन शारदा की शादी मई 2017 में बलिया जनपद के नरही चौरा निवासी जितेंद्र कुमार के साथ हुई थी। शादी के कुछ ही समय बाद ससुराल पक्ष के लोग दहेज को लेकर शारदा को प्रताड़ित करने लगे।
बताया गया कि शारदा अपने पति और सास के साथ पुलिस लाइन वाराणसी स्थित खजुरी सरकारी आवास में रहती थी। वहां उस पर दहेज में पांच लाख रुपये की मांग को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा था। मांग पूरी न होने पर उसे गाली-गलौज दी जाती थी और जान से मारने की धमकियां भी दी जाती थीं।
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अभियोजन के मुताबिक, 9 अक्टूबर 2021 की सुबह शारदा के पति जितेंद्र और सास फूलमती ने मिलकर उस पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना में अन्य लोगों की संलिप्तता की भी आशंका जताई गई थी। सूचना मिलने पर वादी घटनास्थल खजुरी कॉलोनी पहुंचा, जहां उसकी बहन का शव पड़ा हुआ था।
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कुल नौ गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और प्रस्तुत साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद अदालत ने पति और सास को दोषी करार दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि आरोपियों के खिलाफ दहेज हत्या का अपराध पूरी तरह साबित हुआ है, जिसके चलते उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है। वहीं, आरोपी जितेंद्र के पिता के संबंध में यह साक्ष्य सामने आया कि वह उस समय ड्यूटी पर तैनात थे, इसलिए उन्हें मामले में दोषी नहीं ठहराया गया।
दोषी पति और सास की आंखों में आंसू थे और वे अपने किए पर पछतावा करते नजर आए। कोर्ट के इस फैसले को दहेज उत्पीड़न और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर कड़ा संदेश देने वाला माना जा रहा है।


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