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वाराणसी में ठग गैंग का पर्दाफाश : नकली क्राइम ब्रॉन्च ऑफिसर बनकर मारते थे रेड, दरोगा सहित तीन गिरफ्तार

वाराणसी में वर्दी की आड़ में दरोगा ही लूट का गिरोह चला रहा था। पुलिस ने उसे हिरासत में लिया है। पूछताछ में पता चला कि दरोगा ने 4 शातिर युवकों के साथ नकली 'स्पेशल क्राइम ब्रांच' बनाई और हाईवे पर लूट की वारदात शुरू कर दी। दोस्त रेकी करते थे। फिर दरोगा साथियों के साथ छापेमारी करता और जब्त माल को आपस में बांट लेते थे।

आरोपी दरोगा की पहचान सूर्य प्रकाश पांडे के रूप में हुई है। 22 जून को दरोगा ने जीटी रोड पर ज्वेलरी कारोबारी के कर्मचारियों से 93 लाख रुपए पकड़े थे। 

हवाला का पैसा बताकर 42.50 लाख रुपए रख लिए और 50 लाख लौटा दिए। कारोबारी ने मामला दर्ज कराया। पुलिस ने जांच शुरू की। वारदात के वक्त दरोगा का नंबर घटनास्थल पर मिला।

इसके बाद कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने मामले का संज्ञान लिया। इसके बाद पुलिस ने दरोगा और उसके 2 साथियों को हिरासत में लिया। 40 घंटे तक पूछताछ की। दरोगा से अब तक 8 लाख बरामद हो चुके हैं। उसके 2 साथी अभी भी फरार हैं। दरोगा 2019 बैच में भर्ती हुआ और प्रयागराज का निवासी है।

पुलिस ने लूट का किया खुलासा, 3 लोग गिरफ्तार, 2 फरार

22 जून को 42 लाख की लूट में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया जबकि 2 आरोपी अभी फरार हैं। बुधवार को डीसीपी गौरव बंशवाल और एडीसीपी नीतू कादयान ने लूट का खुलासा कर दिया।

डीसीपी ने बताया- 24 जुलाई को रामनगर पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर चौकी भीटी के पास बंदरगाह रोड पर दबिश देकर 3 आरोपियों को पकड़ लिया। इनके पास से 8 लाख 5 हजार नगद, 2 पिस्टल 32 बोर, जिंदा कारतूस और बाइक बरामद किया गया है।

अभियुक्त विकास मिश्रा के पास से लूट के 5,70,000 रुपए नगद व एक पिस्टल 32 बोर और जिंदा कारतूस मिला। जबकि अजय गुप्ता के पास से 2 लाख रुपए नगद और सूर्य प्रकाश पांडेय के पास से 35 हजार नगद, पिस्टल और जिंदा कारतूस बरामद किए गए।

पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि हम लोगों के साथ नीलेश यादव, मुकेश दुबे उर्फ हनी व योगेश पाठक उर्फ सोनू पाठक भी शामिल थे।

मोबाइल बंद कराए, धमकाकर 42 लाख वसूला

पुलिस ने बताया कि 22 जून की रात नीचीबाग कूड़ाखाना गली निवासी सर्राफ कारोबारी जयपाल ने अपने 2 कर्मचारियों को 93 लाख रुपए का देकर बस में बैठाया। दोनों वाराणसी से कोलकाता जा रहे थे। कारोबारी जयपाल कर्मचारी अविनाश और धनंजय को बैठाकर घर आ गए।

आरोपी दरोगा सूर्य प्रकाश पांडे

थोड़ी देर बाद अ‌विनाश ने कारोबारी को फोन किया। कहा- पुलिस ने कैश पकड़ लिया है। एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में और 2 सादे कपड़े में थे। उन्होंने खुद को चंदौली के सैयदराजा थाना की क्राइम टीम का हिस्सा बताया और हमें बस से नीचे उतार लिया। बिना नंबर प्लेट की कार में बैठाया।

हमारे मोबाइल बंद करा दिए। हम दोनों से पूछताछ की। डरा-धमाकर 90 लाख में से 42 लाख 50 हजार रुपए ले लिए और फरार हो गए। हमने उन्हें बताया कि लीगल पैसा है, उन्हें डॉक्यूमेंट्स भी दिखाया, लेकिन उन्होंने एक न सुनी और पैसे लेकर चले गए।

नंबर मिलने पर गहराया शक

सूचना मिलते ही कारोबारी रामनगर थाने पहुंचा। पुलिस ने ऐसी किसी कार्रवाई से इनकार कर दिया। इस पर कारोबारी ने दोनों कर्मचारियों को आरोपी मान लिया और उनके खिलाफ ही FIR दर्ज करा दी। पुलिस ने दोनों से पूछताछ की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। जांच में घटनास्थल चंदौली जिले का चंदरखा निकला। इसके बाद वाराणसी पुलिस ने केस को चंदौली पुलिस को ट्रांसफर कर दिया।

चंदौली पुलिस ने जांच शुरू की। इस दौरान सर्विलांस टीम के हाथ एक नंबर लगा, जिसे ट्रेस किया तो दरोगा का नंबर निकला। उसकी तैनाती कैंट की नदेसर चौकी पर थी। चंदौली पुलिस ने वाराणसी कमिश्नर मोहित अग्रवाल को इसके बारे में बताया। इसके बाद कमिश्नर ने स्पेशल टीम लगाई, तो कहानी कुछ और ही निकली।

पुलिस टीम से केस का बार-बार ले रहा था अपडेट

टीम ने मामले को खंगाला तो सुई दरोगा पर जाकर टिक गई। जांच में पता चला कि दरोगा केस को लेकर रामनगर और सैय्यदराजा थाने से लगातार अपडेट ले रहा था। उसने रामनगर थाने में केस के विवेचक से भी बात की थी। इसके बाद सोमवार दोपहर टीम नदेसर चौकी पहुंची। दरोगा को बाहर बुलाया और कार बैठाकर लेकर चली गई।

कमिश्नर की निगरानी में दरोगा से पूछताछ की गई। सूचना है कि दरोगा ने जुर्म कबूल लिया है। उसने बताया कि वह लूट का गिरोह चलाता है। दरोगा की मोबाइल से घटना से जुड़े फोटो-वीडियो मिले हैं। दरोगा बिना नंबर के वाहन का इस्तेमाल करता था। पुलिस जल्द ही दरोगा को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा करेगी।