नागा संन्यासियों की अपील: मसान की होली साधु-संतों और अघोरियों के लिए, गृहस्थ भूलकर भी न हों शामिल
श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के नागा संन्यासी खुशहाल भारती ने काशीवासियों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया के बहकावे में आकर कोई निर्णय न लें और काशी की परंपराओं का मूल स्वरूप में निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि महाश्मशान की होली साधु-संतों और अघोरियों की परंपरा है, इसमें गृहस्थों को भाग नहीं लेना चाहिए। काशीवासी बाबा विश्वनाथ के साथ अपनी परंपरागत होली मनाएं और उनकी विवाह से जुड़ी रस्मों का निर्वहन करें।
बुधवार को मणिकर्णिका घाट पर उदयपुर शाखा के प्रभारी संत दिगंबर खुशहाल भारती ने कहा कि काशी एकमात्र ऐसी नगरी है जहां बाबा विश्वनाथ गृहस्थ और आदियोगी दोनों स्वरूपों में विराजमान हैं। यहां की शास्त्रीय और लोक परंपराएं भी अद्वितीय हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि काशीवासियों का बाबा विश्वनाथ से संबंध केवल भक्त और भगवान का नहीं है, बल्कि बाबा उनके दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। यहां का हर कार्य बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से ही संपन्न होता है।
गृहस्थों के लिए अलग है रंगभरी एकादशी की होली
खुशहाल भारती ने बताया कि रंगभरी एकादशी के दिन काशीवासी पूर्व महंत के आवास पर गौरी-शंकर और गणेश के साथ होली खेलते हैं। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।
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अगले दिन द्वादशी को महाश्मशान पर साधु-संन्यासी और अघोरी बाबा विश्वनाथ के साथ होली खेलते हैं। नागा संन्यासी ने गृहस्थों को आगाह किया कि वे भूलकर भी महाश्मशान की होली में शामिल न हों, क्योंकि इससे बड़ा दोष लगता है।
काशीवासी निभाएं अपनी जिम्मेदारी
खुशहाल भारती ने कहा कि काशीवासियों का धर्म है कि वे अपनी परंपराओं को संरक्षित करें और बाबा विश्वनाथ के विवाहोत्सव की रस्मों जैसे तिलक, तेल, हल्दी और गौना का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा की रक्षा के लिए काशीवासी बाबा के दूत हैं, जबकि नागा साधु बाबा के गण। दोनों की अपनी-अपनी भूमिका है। काशीवासियों की जिम्मेदारी है कि वे अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को बचाए रखें।
कुंभ से पहले काशी लौटने का संकल्प
खुशहाल भारती ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में सांस्कृतिक संक्रमण काल चल रहा है, जो परंपराओं के लिए एक चुनौती है। ऐसे में सभी काशीवासियों को बाबा विश्वनाथ में अपनी आस्था बनाए रखते हुए धर्म की रक्षा के लिए आगे आना होगा। यदि आवश्यकता पड़ी तो अगले कुंभ से पहले भी नागा साधु काशी लौटने पर विचार कर सकते हैं।