वाराणसी के युवाओं में तेजी से बढ़ रहा एचआईवी संक्रमण, दीनदयाल अस्पताल में तीन महीने में मिले 56 नए मरीज
शहर के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल स्थित एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर में एचआईवी संक्रमण के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बीते तीन महीनों के आंकड़े बताते हैं कि कुल 56 एचआईवी संक्रमित मरीज सामने आए हैं। इनमें से 20 युवा वर्ग से हैं, जिनमें 15 छात्र ऐसे हैं जो शहर के किसी न किसी विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं।
नशे और असुरक्षित संबंध बने संक्रमण का कारण
अस्पताल से जुड़े काउंसलर राजेश मिश्रा के अनुसार, अप्रैल में 22, मई में 20 और जून में 14 नए मामले सामने आए। इनमें कई छात्र ऐसे हैं जो नशे की गिरफ्त में आकर संक्रमित सिरिंज का इस्तेमाल करने लगे और इसके जरिए एचआईवी की चपेट में आ गए।
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राजेश मिश्रा ने बताया कि एआरटी सेंटर पर प्रतिदिन 80 से 100 मरीजों की एचआईवी जांच और काउंसलिंग की जा रही है। कुछ मरीज खुद स्वेच्छा से जांच के लिए आ रहे हैं, तो कुछ को डॉक्टर द्वारा रेफर किया जा रहा है। इसके अलावा, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के अंतर्गत काम कर रहे एनजीओ के जरिए भी मरीजों को जांच के लिए लाया जा रहा है।
सोशल मीडिया बन रहा संक्रमण की वजह
विशेषज्ञों के अनुसार, अधिकतर एचआईवी संक्रमित मरीज स्नातक छात्र या बाहर से काम की तलाश में वाराणसी आए युवा हैं। ये युवा सोशल मीडिया के माध्यम से अनजान लोगों से संपर्क कर रहे हैं
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और कई बार असुरक्षित यौन संबंध बना रहे हैं। इन कारणों से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
नशे की लत से और बढ़ रही मुश्किलें
दीनदयाल अस्पताल के ओएसडी सेंटर के मेडिकल ऑफिसर डॉ. प्रशांत वैभव ने बताया कि युवाओं में नशे की लत भी एचआईवी संक्रमण की बड़ी वजह बन रही है। संक्रमित सिरिंज के जरिए नशा करने वाले युवक तेजी से इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि समय रहते काउंसलिंग और जागरूकता अभियानों से इस स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
लापरवाही बनी बड़ी वजह: एड्स जागरूकता कार्यकर्ता
एड्स जागरूकता पर काम कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता शालू पांडेय ने कहा कि एचआईवी किसी को भी हो सकता है।
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यह रोग लापरवाही की वजह से होता है, लेकिन समय पर जांच और उपचार से इसे रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि कई लोग सामाजिक कलंक और डर के कारण जांच कराने से बचते हैं, जो आगे चलकर जानलेवा साबित हो सकता है।
एचआईवी का इलाज संभव: चिकित्साधिकारी
दीनदयाल अस्पताल के एआरटी सेंटर की चिकित्साधिकारी डॉ. प्रीति अग्रवाल ने कहा कि सेंटर पर आने वाले हर मरीज की जांच के साथ उसकी काउंसलिंग की जा रही है। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो मरीज को तुरंत दवा उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने बताया कि एचआईवी अब लाइलाज बीमारी नहीं रही, समय पर इलाज और नियमित दवा से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।