gnews वाराणसी के राजातालाब विवाद में नया खुलासा: अमिताभ ठाकुर ने पुलिस को सौंपे वीडियो साक्ष्य - The Varanasi News
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वाराणसी के राजातालाब विवाद में नया खुलासा: अमिताभ ठाकुर ने पुलिस को सौंपे वीडियो साक्ष्य

राजातालाब क्षेत्र में सावन के तीसरे सोमवार को कांवड़ यात्रा के दौरान हुई मारपीट और तनाव की घटना अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। जहां एक ओर इस प्रकरण में पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं अब पूर्व आईपीएस अधिकारी और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने इस मामले में पूरी तरह निष्पक्ष जांच की मांग की है।

अमिताभ ठाकुर ने वाराणसी के पुलिस कमिश्नर को भेजे गए पत्र में कहा है कि घटना के बाद कांवड़ यात्रा में शामिल श्रद्धालु शुभम यादव के साथ मारपीट हुई और मामले में पलटू राम नामक व्यक्ति की ओर से एफआईआर संख्या 164/2025 दर्ज कराई गई, जिस पर त्वरित कार्रवाई की गई।

लेकिन ठाकुर का कहना है कि उनके पास इस घटना से जुड़े कुछ सीसीटीवी फुटेज प्राप्त हुए हैं, जिनमें एक युवती गली में तेजी से भागती हुई नजर आ रही है

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और पीछे एक व्यक्ति दौड़ता दिख रहा है, जो एफआईआर दर्ज कराने वाले पलटू राम बताए जा रहे हैं।

उन्होंने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि स्थानीय तौर पर यह बात भी सामने आई है कि घटना की शुरुआत एक जूते की दुकान पर बैठी युवती से कथित छेड़छाड़ के बाद हुई थी, जिसके बाद पूरा विवाद खड़ा हुआ।

इससे पहले घटना के बाद राजातालाब क्षेत्र में कांवड़ियों ने अंडरपास पर जाम लगाकर प्रदर्शन शुरू कर दिया था। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी बल तैनात किया,

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लेकिन जब हिंदू संगठनों के नेताओं राजेश पांडेय और पवन पाठक ने हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर नारेबाजी शुरू की और मुस्लिम बहुल क्षेत्र की ओर बढ़ने की कोशिश की, तो पुलिस से झड़प हो गई। इस दौरान राजेश पांडेय को हिरासत में ले लिया गया।

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद माहौल और अधिक संवेदनशील हो गया था। प्रशासन ने जंसा-राजातालाब पंचक्रोशी मार्ग सील कर दिया था और तीन थानों की फोर्स लगाई गई थी।

अब अमिताभ ठाकुर द्वारा उठाए गए सवालों और प्रस्तुत किए गए सीसीटीवी फुटेज ने मामले में नए तथ्यों की ओर इशारा किया है, जिससे पुलिस जांच की दिशा बदल सकती है। उन्होंने आग्रह किया है कि सभी उपलब्ध तथ्यों और वीडियो साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए मामले की पारदर्शी और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए ताकि न तो कोई निर्दोष फंसे और न ही कोई दोषी बच सके।