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वाराणसी में मानव तस्करी के मामले में सात दोषियों को आजीवन कारावास, दो महिलाएं भी शामिल



भेलूपुर थाना क्षेत्र में दर्ज मानव तस्करी के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट (प्रथम) के न्यायाधीश कुलदीप सिंह की अदालत ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने सात अभियुक्तों — संतोष गुप्ता (मंडुवाडीह), मनीष जैन (जयपुर), महेश राणा (कोडरमा), मुकेश पंडित (हजारीबाग), महेश राणा (गिरिडीह), शिखा (शिवदासपुर) और सुनीता देवी (गिरिडीह) — को मानव तस्करी सहित गंभीर धाराओं में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही सभी दोषियों पर 20-20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।

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अदालत ने शुक्रवार को ही दोष सिद्ध कर दिया था और सजा पर बहस के लिए 24 नवंबर की तिथि निर्धारित की थी। वहीं इसी मामले में अपर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर नौ आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया गया।

क्या था मामला?

अभियोजन के अनुसार सामने घाट, लंका निवासी संजय ने 16 मई 2023 को भेलूपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि वह अपनी पत्नी व चार वर्षीय बेटे के साथ रविंद्रपुरी कॉलोनी के पास सोए हुए थे। सुबह उनका बेटा लापता मिला। पुलिस जांच में शिवदासपुर के निवासी संतोष गुप्ता सीसीटीवी में बच्चे को ले जाते हुए दिखाई दिया।

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पुलिस ने 21 मई को नवाबगंज स्थित कुड़ेखाने के पास से संतोष गुप्ता को गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान उसके घर से बच्चे का बनियान बरामद हुआ। बाद में 23 मई को मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन के पास से बच्चे को भी सकुशल बरामद कर लिया गया। जांच में मानव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश हुआ और अन्य आरोपितों की संलिप्तता मिलने पर उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया।

पक्षकारों की दलीलें

अभियोजन पक्ष की ओर से डीजीसी मुनीब सिंह चौहान, एडीजीसी मनोज कुमार गुप्ता और वादी के अधिवक्ता गोपाल कृष्ण ने पैरवी की। वहीं बचाव पक्ष दोषियों को रिहा कराने के लिए सबूतों पर सवाल उठाता रहा, लेकिन अदालत ने अभियोजन के तर्कों व प्रस्तुत साक्ष्यों को स्वीकार करते हुए सजा सुनाई।