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कफ सिरप विवाद में व्यापारियों की कोर्ट में गुहार, बोले– बेगुनाह होते हुए भी फंसाया जा रहा

वाराणसी में कफ सिरप विवाद लगातार गहराता जा रहा है। छापेमारी, गिरफ्तारी की आशंका और राजनीतिक बयानबाज़ी के बीच अब शहर के 10 दवा व्यापारियों ने अदालत की शरण ली है। व्यापारियों का कहना है कि उन्हें फर्जी आरोपों में फंसाकर बलि का बकरा बनाया जा रहा है, जबकि उनका व्यापार पूरी तरह वैध और कानूनी है।

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अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-द्वितीय की अदालत में अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी के माध्यम से दाखिल प्रार्थना पत्र में तुषार अग्रवाल, नीरज सेठ, ऋषभ यादव, प्रतीक कुमार, धर्मेंद्र अग्रवाल, विवेक कुमार खन्ना, अल्पेस पटेल, मुकेश यादव, वीरेंद्र वर्मा और महेश खेतान शामिल हैं। इन व्यापारियों ने मांग की है कि एफआईआर संख्या 235/2025 में उन पर कौन-कौन सी धाराएं लगाई गई हैं, यह स्पष्ट रूप से बताया जाए और उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में लिया जाए ताकि पुलिस द्वारा अनावश्यक दबाव और संभावित गिरफ्तारी से राहत मिल सके।

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व्यापारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस बिना किसी साक्ष्य के छापेमारी कर रही है और दबिश देकर उन्हें अपराधी साबित करने की कोशिश की जा रही है। कई व्यापारी छापेमारी के डर से अपने घर छोड़कर बाहर रहने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि उनकी सारी खरीद-फरोख्त और बिलिंग वैध है तथा वे जांच में पूरा सहयोग देने को तैयार हैं।


अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि यह मामला में कफ सिरप से बच्चों की मौत जैसे किसी भी प्रकरण से बिल्कुल अलग है। उन्होंने दावा किया कि फेंसडील कफ सिरप एक वैध दवा है, जिसे पूरे देश में बेचा जाता है। उन्होंने इस पूरे मामले को बेबुनियाद बताया और आरोप लगाया कि जांच के नाम पर व्यापारियों से धन उगाही की जा रही है। अधिवक्ता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि निष्पक्ष रिपोर्ट आने तक किसी भी व्यापारी की गिरफ्तारी न हो।


मुख्यमंत्री पहले ही कफ सिरप मामले में कड़ी कार्रवाई का संदेश दे चुके हैं, जिसके बाद व्यापारियों में भय और बढ़ गया है।