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वाराणसी में प्राचीन बटुक भैरव मंदिर में पंचामृत स्नान से तामसी श्रृंगार तक विशेष आयोजन

माँ काली के पुत्र एवं भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले बाबा बटुक भैरव नाथ जी का शरद ऋतु में होने वाला वार्षिक त्रिगुणात्मक श्रृंगार आज दिनांक 21 दिसंबर को वाराणसी के कमच्छा स्थित प्राचीन बटुक भैरव मंदिर में श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन बीते 29 वर्षों से प्रतिवर्ष दो दिवसीय रूप में लगातार आयोजित किया जा रहा है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाबा बटुक भैरव नाथ जी को संकटों का नाश करने वाला, भय एवं दुःख को दूर करने वाला देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में वे साहस, सुरक्षा और न्याय के प्रतीक हैं। उनकी उपासना विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जाओं और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार बाबा बटुक भैरव भगवान शिव के अवतार हैं, जो अपने भक्तों की बुरी शक्तियों से रक्षा करते हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार करते हैं। इसी कारण उन्हें ‘संरक्षक देवता’ के रूप में भी जाना जाता है।


कार्यक्रम के आयोजक महंत जितेंद्र मोहन पुरी ‘विजय गुरु’ ने बताया कि 21 दिसंबर को प्रातः 4 बजे बाबा का पंचामृत स्नान कराया गया। इसके उपरांत 51 किलो सफेद बेला के फूलों से सात्विक श्रृंगार किया गया तथा सात्विक विधि-विधान से पूजन एवं प्रातः आरती संपन्न हुई। सायं 4 बजे विभिन्न प्रकार के सुगंधित फूलों और राजसी वस्त्रों से बाबा का भव्य राजसी श्रृंगार किया गया। इसके पश्चात विभिन्न प्रकार के व्यंजनों से बाबा को छप्पन भोग अर्पित किया गया।

सायं 7 बजे से महंत जितेंद्र मोहन पुरी जी के सानिध्य में लोक कल्याण हेतु रुद्र बटुक महायज्ञ का आयोजन किया गया, जो रात्रि 10 बजे तक अनवरत चलता रहा। इस विशेष यज्ञ के लिए मंदिर प्रांगण में स्थित हवन कुंड को वर्ष में केवल एक बार पूर्ण रूप से खोला जाता है, जिसकी गहराई लगभग 6 फीट है। यज्ञ में साकला, विभिन्न प्रकार के मेवे, धान का लावा, शहद, बताशा, तांत्रोक्त जड़ी-बूटियां तथा शुद्ध देशी घी सहित अन्य सामग्रियों का प्रयोग किया गया। इस महायज्ञ में सम्मिलित होने के लिए न केवल वाराणसी बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पहुंचे।

 इस अवसर पर रात्रि 8 से 9 बजे तक बाबा की विशेष आरती की गई। रात्रि 10 बजे बाबा का तामसी श्रृंगार कर तामसी भोग अर्पित किया गया तथा चक्रासन पूजन संपन्न हुआ।

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आयोजन के दूसरे दिन सोमवार, 22 दिसंबर को पूर्वान्ह 11 बजे से मंदिर प्रांगण में बटुक पूजन का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान विभिन्न स्थानीय मठों सहित बाहर से आए लगभग 1100 बटुकों का पूजन महंत जितेंद्र मोहन पुरी जी एवं उनके शिष्यों द्वारा किया जाएगा और उन्हें भोजन कराया जाएगा। इसके पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन होगा, जिसमें लगभग 5000 श्रद्धालुओं के लिए बाबा के प्रसाद की व्यवस्था की गई है।


इस पावन अवसर पर महंत दीपक पुरी, महंत भास्कर पुरी, महंत राकेश पुरी सहित अनेक शिष्यगण एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे


उल्लेखनीय है कि भारत भर में भगवान बटुक भैरव के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, किंतु काशी में स्थित यह मंदिर अपनी गुरु-शिष्य परंपरा को आज भी जीवंत रूप से निभाने के लिए विशेष पहचान रखता है। यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु बाबा बटुक भैरव नाथ जी की कृपा प्राप्त करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि उनकी पूजा से न केवल भौतिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। बाबा बटुक भैरव जी के प्रति श्रद्धा और विश्वास से जुड़ा यह आयोजन यह संदेश देता है कि साहस और ईश्वर में अटूट आस्था के साथ हर कठिनाई का समाधान संभव है।