gnews काली फिल्म और भोकाल कल्चर: वाराणसी की सड़कों पर बढ़ता खतरनाक ट्रेंड - The Varanasi News
HEADLINE
Dark Mode
Large text article

काली फिल्म और भोकाल कल्चर: वाराणसी की सड़कों पर बढ़ता खतरनाक ट्रेंड

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं। लेकिन वाराणसी में हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। शहर की सड़कों पर इन दिनों धड़ल्ले से काली फिल्म चढ़ी गाड़ियां घूम रही हैं, जिनकी गतिविधियां आम नागरिकों के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी चिंता का विषय बनती जा रही हैं।

कानून की धज्जियां उड़ाते बेखौफ वाहन

सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद वाराणसी में काली फिल्म लगी गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ गाड़ियों पर फर्जी विधानसभा पास और हूटर तक लगे देखे गए हैं। 

विज्ञापन

इन गाड़ियों में बैठे लोगों की पहचान करना लगभग नामुमकिन है, जो सुरक्षा के लिहाज से बेहद खतरनाक स्थिति पैदा कर रहा है।

कैंट, सिगरा, नदेसर, अस्सी, भेलूपुर से लेकर भीड़भाड़ वाले इलाकों तक — हर जगह इन गाड़ियों का बोलबाला है।

पुलिस की 'चुप्पी' बेहद खतरनाक

सबसे चिंताजनक बात यह है कि पुलिस के सामने से काली फिल्म लगी गाड़ियां बेधड़क गुजर रही हैं। शहर के हर मुख्य चौराहे पर जगह-जगह पुलिस के बूथ और थाने मौजूद हैं, फिर भी इन गाड़ियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

पुलिस की मौजूदगी अब इन गाड़ियों के लिए सिर्फ एक दिखावटी रुकावट बनकर रह गई है।
क्या पुलिस सिर्फ खानापूर्ति के लिए तैनात है? या फिर कुछ गाड़ियों को जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है?

सोशल मीडिया पर बढ़ता 'भोकाल' कल्चर

चिंता की एक और बड़ी वजह यह है कि कई ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट्स सक्रिय हैं, जो इन काली फिल्म लगी गाड़ियों और अवैध गतिविधियों का गलत प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

इन अकाउंट्स पर गाड़ियों के वीडियो और नकली रौब-दिखावे वाली जिंदगी को महिमामंडित किया जा रहा है। इसके प्रभाव में आकर कई युवक 'भोकाल' दिखाने के चक्कर में अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं।

विज्ञापन

स्कूल-कॉलेज के छात्र अब पढ़ाई छोड़कर इस झूठी शान के पीछे भाग रहे हैं, जो आने वाले समय में समाज के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।

जरूरत है कि ऐसे अकाउंट्स पर कड़ी कार्रवाई हो, ताकि युवा वर्ग गुमराह न हो।

जनता में बढ़ती बेचैनी

स्थानीय नागरिकों के बीच दहशत का माहौल है। लोग सोशल मीडिया और बाजारों में चर्चा कर रहे हैं कि ऐसी गाड़ियों के जरिए कोई अवैध गतिविधियां संचालित हो रही हैं या फिर इनका इस्तेमाल किसी बड़े अपराध की साजिश के लिए किया जा सकता है।

पहलगाम जैसे आतंकी हमले के बाद इस तरह की लापरवाही सीधे-सीधे सुरक्षा तंत्र पर सवाल खड़े करती है।

बड़ा सवाल: सुरक्षा भगवान भरोसे?

ऐसे हालात में सवाल उठता है कि वाराणसी जैसे शहर की सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ दी गई है क्या?
जब देशभर में हाई अलर्ट जारी है, तब काशी जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र में इस तरह की अनदेखी बेहद गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।