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कफ सिरप सिंडिकेट में वाराणसी का नाम उछला; शुभम पर बढ़ी नजर, SOG-1 मैदान में उतरी

प्रतिबंधित कफ सिरप की अवैध तस्करी का नेटवर्क वाराणसी से लेकर झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और सीमा पार बांग्लादेश तक सक्रिय है। इस पूरे नेटवर्क में वाराणसी निवासी शुभम जायसवाल का नाम मुख्य रूप से सामने आया है। गाजियाबाद में हाल ही में पकड़े गए चार ट्रकों की खेप के मामले में शुभम के खिलाफ नामजद FIR दर्ज है, जिसके बाद जांच कई स्तरों पर तेज हुई है।

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दी वाराणसी न्यूज़ की पड़ताल में यह सामने आया है कि शुभम ने अपने नज़दीकी लोगों की पहचान, पैन, आधार और जीएसटी नंबरों पर कई फर्जी दवा फर्में और डिस्ट्रीब्यूशन चैन खड़ी की थीं। इन फर्मों के नाम पर कफ सिरप की बड़ी खेप खरीदी और सप्लाई की जाती थी।

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बताया जाता है कि शुभम की दवा मंडी, मेडिकल व्यापारियों, ट्रांसपोर्टर्स से लेकर स्थानीय बाहुबल और राजनीतिक संपर्कों तक पहुंच थी, जिसकी वजह से वह अब तक कार्रवाई से बचता रहा।

SOG-1 ने संभाला मोर्चा

डीसीपी क्राइम सरवणन टी. ने दी वाराणसी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि

सरवणन टी

"अवैध दवा तस्करी को रोकने के लिए SOG-1 में ही एक विशेष टीम गठित की गई है।

यह टीम सिर्फ कफ सिरप रैकेट और अवैध मेडिसिन नेटवर्क पर कार्रवाई कर रही है।

पूर्व में पकड़े गए आरोपियों पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। उनके मोबाइल फोन, लैपटॉप और सोशल मीडिया अकाउंट सहित सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ की तकनीकी जांच की जा रही है। ऐसे लोग बच नहीं पाएंगे।

गाजियाबाद क्राइम ब्रांच ने क्या कहा

जब दी वाराणसी न्यूज़ ने गाजियाबाद क्राइम ब्रांच से फोन पर संपर्क किया तो यह पुष्टि हुई कि

गाजियाबाद में पकड़ी गई कफ सिरप की बड़ी खेप को बिहार, झारखंड और बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजा जाना था।

क्राइम ब्रांच अधिकारियों ने बताया कि

गिरफ्तार आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और उनसे लगातार पूछताछ जारी है।

पूरी टीम मोबाइल फोन, चैट हिस्ट्री, कॉल डिटेल, व्हाट्सऐप, टेलीग्राम चैनल, ईमेल और सोशल मीडिया गतिविधियों की तकनीकी जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि पूरा नेटवर्क किस तरह संचालित होता था और विदेश तक लिंक कैसे बने हुए थे।


सूत्रों के अनुसार, शुभम जायसवाल की विदेश यात्राओं, लेन-देन और फंडिंग स्रोत की जांच अब इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) भी कर रही है।